Thursday, November 10, 2016

Lyrics We Love (1960-65)

The idea, depicted by the hashtag  #lyricswelove, saw several participants on facebook lately. yesterday evening, I joined the fun, and posted examples of certain lyrics that I have liked. All the examples were from the films released between 1960-65. A total of 43 songs find a mention here, I am posting a compilation of the same as a blog post here :)

The idea has several aspects to it. There is an obvious nostalgia associated for people who will be able to identify most of these songs. For quite a few others, it is also about discovering certain new songs, which they may not have come across or given enough attention to. But I feel the most interesting part of this concept is that, we pay attention to the words of the song. We realize that so many songs, had such beautiful lines, so many beautiful thoughts that we may not have noticed earlier - even for several songs which may have loved and enjoyed. For the love of lyrics - The Lyrics we love. Join the journey folks! Feel free to post your views and reactions here, especially if you have a query about any song/lyrics in particular!

उतना ही उपकार समझ कोई जितना साथ निभा दे... 

ये भोग भी एक तपस्या है, तुम त्याग के मारे क्या जानो? (sahir)

संसार से भागे फिरते हो, भगवान को तुम क्या पाओगे?

जिंदा रहने के मौसम बहुत है मगर, जान देने की रुत रोज़ आती नही..

मैं ये सोचकर उसके दर से उठा था, की वो रोक लेगी,मना लेगी मुझको... (heartbreak)

जीवन के सफ़र में तन्हाई, 
मुझको तो न ज़िंदा छोड़ेगी, 
मरने की खबर,ऐ जान-ए-जिगर, 
मिल जाए कभी तो मत रोना...


हम छोड़ चले है महफ़िल को, 
याद आये कभी तो मत रोना...



बंद कमरे में जो खत मेरे जलाए होंगे,
एक एक हर्फ़ जबीं पर उभर आया होगा...
सर ना काँधे से, सहेली के उठाया होगा...
ज़ुल्फ़ जिद करके किसी ने जो बनायी होगी...
(same song)

हो के मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा...

जीने वाले सोच ले, यही वक़्त है, कर ले पूरे आरज़ू...

जो तुमसे है मेरे हमदम, भगवान से भी वो आस नहीं...

तुम भी किसी से प्यार करो तो, 
प्यार गुल और बुलबुल सा करना...

एक था गुल, और एक थी बुलबुल, दोनों चमन में रहते थे...

ये पत्थर है, ये नही रोते...
परदेसियों से न अँखियाँ मिलाना...
(antara - mukhda)

एक सूरत भोली भाली है, दो नैना सीधे सादे है...

मेरी खुशियाँ ही ना बाँटे, मेरे ग़म भी सहना चाहे,
देखे न ख़्वाब वो महलों के, मेरे दिल में रहना चाहे...

इस जहाँ के लिए,धरती माँ के लिए,
शिव का वरदान हूँ, मैं तुम्हारी तरह...

चाहूँगा मैं तुझे, सांझ सवेरे,
फिर भी कभी अब,नाम को तेरे,
आवाज़ मैं ना दूँगा...

तेरे हुस्न की क्या तारीफ करूँ,
कुछ कहते हुए भी डरता हूँ,
कहीं भूल से तू न समझ बैठे,
की मैं तुझसे मोहब्बत करता हूँ...
(best flirting)

अगर मुझसे मोहब्बत है, मुझे सब अपने ग़म दे दो...
शरीक-ए-ज़िंदगी को क्यों शरीक-ए-ग़म नही करते,
दुखों को बाँट कर क्यों, दुखों को कम नहीं करते...
(same song)

दोस्त दोस्त ना रहा, प्यार प्यार ना रहा (memorable)

एक चीज़ क़यामत भी है,लोगों से सुना करते थे,
तुम्हें देखके हमने माना,वो ठीक कहा करते थे!

अधूरा हूँ मैं अफसाना, जो याद आये चले आना 

जीवन सीमा के आगे भी,
आऊँगी मैं संग तुम्हारे...
रुक जा रात, ठहर जा रे चन्दा....

मेरे महबूब तुझे मेरी मोहब्बत की कसम,
मेरा खोया हुआ, रंगीन नज़ारा दे दे...
भूल सकती नही आँखें वो सुहाना मंज़र,
जब तेरा हुस्न,मेरे इश्क से टकराया था!
(antara - mukhda)

मत खेल जल जायेगी,
कहती है आग मेरे मन की,
मैं बंदिनी पिया की,
मैं संगिनी हूँ साजन की...

मन की किताब से तुम,
मेरा नाम ही मिटा देना,
गुण तो ना था कोई भी,
अवगुण मेरे भुला देना...

तेरा मेरा प्यारा अमर,
फिर क्यों मुझको लगता है डर...
मेरे दोनों बाहों में,
जैसे आसमान है,
चलती हूँ मैं तारों पर...
(same song)

ओ जाने वाले, हो सके तो लौट के आना...

वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन,
उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा...

चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाए हम दोनों... 

ये मौसम ये रात चुप है,
ये होंठों की बात चुप है,
खामोशी सुनाने लगी है दास्ताँ...

मुझे ग़म भी उनका अजीज़ है, 
की उन्हीं की दी हुई चीज़ है...

कहीं दिल न मेरा,ये तारीफ सुनकर,
तुम्हारा बने, और मुझे भूल जाए !!

मेरा हक़ था तेरी आँखों की छलकती मय पर,
चीज़ अपनी थी, परायी तो नही माँगी थी...

मेरे सीने, में भी दिल है,
है मेरे भी कुछ अरमां,
मुझे पत्थर, तो न समझो,
मैं हूँ आखिर एक इन्सां...
(yahoo, junglee) 

गर्दन है इक, झुकी हुई, डाली गुलाब की...

तुमने मुझको हँसना सिखाया, रोने कहोगे, रो लेंगे अब...

आओ मेहनत को अपना ईमान बनाए,
अपने हाथों को अपना भगवान बनाए,
राम की इस भूमि को,गौतम की धरती को,
सपनों से भी प्यारा हिन्दुस्तान बनाए...

मुझे एक जगह आराम नही,
रुक जाना मेरा काम नही,
मेरा साथ कहाँ तक दोगी तुम,
मैं देस-बिदेस का बंजारा !!

हम तो समझे थे के हम भूल गए है उनको,
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया!

ज्यादा की नहीं लालच हमको, थोड़े में गुज़ारा होता है

घूँघट में जब चाँद था, मेहंदी लगी थी पाँव..

यही कहोगे तुम सदा, के दिल अभी नहीं भरा...

तुम्हें याद होगा, कभी हम मिले थे...
अगर ज़िन्दगी हो, अपने ही बस में,
तुम्हारी कसम हम, न भूले वो कसमें..

आँखों में सारी रात जायेगी,
तुमको भी कैसे नींद आएगी?
हम मिट चले है जिनके लिए,
बिन कुछ कहे,वो चुप-चुप रहे..

मुबारकें तुम्हे की तुम, किसी के नूर हो गए,
किसी के इतने पास हो,के सबसे दूर हो गए

मोहब्बत का छोटा सा,मंदिर बनाके,
तुझे रात-दिन, पूजना चाहता हूँ !!
रिवाजों की परवाह, न रस्मों का डर है,
तेरी आँख के, फैसले पे, नज़र है !!
(same song, best duet)

जाने बहार तुम किसी शायर का ख़्वाब हो

हाय वो रेशमी जुल्फों से बरसता पानी,
फूल से गालों पे रुकने को,तरसता पानी







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